राजस्थान की नदियां
आंतरिक प्रवाह वाली नदियाँ -
Trick - काका मेसा रूघचू
कातंली, काकनेय, मेंथा, साबी, रूपारेल, घग्घर, चूहड़ सिद्ध
1. घग्घर नदी -
घग्घर नदी हिमाचल प्रदेश में शिमला के पास शिवालिक की पहाड़ियों से निकलती हैं।
घग्घर नदी वैदिक काल की सरस्वती नदी हैं।
यह राजस्थान की एकमात्र नदी है जिसका उदगम हिमालय से होता है।
घग्घर नदी बरसात के दिनों में अपना पानी श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ तक ले जाती है।
घग्घर नदी को पाकिस्तान में हकरा के नाम से जाना जाता है।
यह पाकिस्तान में गड्ढों या पोखर के रूप में मिलती हैं।
घग्घर नदी को मृत नदी के नाम से भी जाना जाता है।
यह राजस्थान में हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील के तलवाड़ा गांव के पास राजस्थान में प्रवेश करती है।
उपनाम - सरस्वती, नट नदी, मृत नदी, हकरा(पाकिस्तान में)
2. काकनेय नदी -
उदगम - जैसलमेर के कोटारी / कोट्यारी गांव से होता है।
स्थानीय भाषा में इसे मसूरदी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
काकनेय / काकनी नदी जैसलमेर में बुझ झील का निर्माण करती हैं।
बरसात के दिनों में इस नदी की एक शाखा दूसरी ओर निकल कर मीठा खाड़ी नामक मीठी झील का निर्माण करती हैं।
3. कातंली नदी -
उदगम - सीकर की कंडेला पहाड़ी
कातंली नदी से सीकर व झुंझुनू में बहने के बाद चुरू की सीमा पर जाकर विलुप्त हो जाती हैं।
कातंली नदी का बहाव क्षेत्र तोरावाटी कहलाता है।
कातंली नदी झुंझुनू को दो भागों में बांटती है।
4. मेंथा नदी -
उदगम स्थल - मनोहरपुर, जयपुर
मेंथा जयपुर और नागौर जिलों में बहते हुए सांभर झील में मिल जाती हैं।
5. साबी नदी -
उदगम - सेवर की पहाड़ी, जयपुर
साबी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।
सेवर की पहाड़ियों से निकलकर यह नदी अलवर में बहती हुई हरियाणा में जाकर विलुप्त हो जाती हैं।
6. रूपारेल नदी / वाराह नदी -
रूपारेल नदी अलवर जिले से निकलकर अलवर और भरतपुर में बहते हुए आगरा तक जाती है।
नोह सभ्यता का विकास रूपारेल नदी के किनारे हुआ था।
नोह सभ्यता में जाखम बाबा / यक्ष की मूर्ति तथा गौरेया पक्षी के साक्ष्य मिले हैं।
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